आज के इस वैश्वीकरण के युग में सम्बन्ध (रिलेशन) भी अब पेशेवर होने लगे हैं। अपने भारत में यह एक चिंता का विषय हैं। सम्बन्ध अब मजबूतले होते जा रहा है, सम्बन्धों का मजा तभी है जब एक - दूसरे का इंतजार हो, एक - दूसरे से मिलने की ललक हो, एक - दूसरे के मन में ऐसा भाव हो मानो एक - दूसरे के बिना नहीं रह सकता।
आप ऐसे सम्बन्धी बहुत मिलेंगे, जो आपको आपकी हाल-चाल के बारे में बताएगा, आपने क्या किया था? क्या बनाया? और घर के लोग कैसे है? मम्मी कैसी है? ..........................
लेकिन ऐसे लोगो की तादात गिने - चुने हुए है, जो आपका इंतजार करते है, आपको दिल से चाहते है। कुल मिलाकर संबंधित स्थितियों में बेसब्री होना बहुत जरूरी है, नहीं तो संबंधित स्थितियों का मजा ही नहीं आता है।
एक बात और जो प्रेयसी और प्रेमी में सम्बन्ध होता है शायद ही किसी में हो लेकिन इससे भी ज्यादा एक माँ को अपने बच्चो के प्रति जो उत्सुकता और जुड़ाव होता है शायद ही किसी के बीच हो।
हम तो कहते हैं कि अगर सम्बन्ध ही बनाना है तो उस सम्बन्ध में लगाव, जुड़ाव, बेसब्री, ललक, इंतजार करना बहुत जरूरी है।
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