हम आपको एक कहानी सुनाता हूँ, कहानी है तो छोटी लेकिन इस कहानी का मर्म बहुत सुन्दर है-
एक कुम्हार मिट्टी से कुछ बना रहा है । मिट्टी उसके हाथों में लेपी हुई है। तभी अचानक उसकी पत्नी आकर पूछतीं है तुम यह क्या बना रहे हो तो कुम्हार बङे प्यार से सिर उठाते हुए जवाब देता हैं चिलम बना रहा हूं, आज-कल बड़े फैशन (चलन) में है खूब बिकेगी ।
पत्नी ने बोला - अरे ! पागल चिलम बना रहे हो सुराही क्यों नहीँ बनाते गर्मी आने वाली है, सुुुराही भी खूब बिकेगी । कुम्हार बोला बात ठीक है, कुम्हार नेे मिट्टी छोड़ दी । दोबारा गुउन शुरू किया और अब मिट्टी को आकर देना शुरू किया तो कहते है कि मिट्टी में से आवाज आयी, ये तुम क्या कर रहे हो पहले तो कुुुछ और रूप दे रहा था और अब कुुुछ और रूप ।
कुम्हार का जवाब सुनिये कुम्हार कहता है कि मेरा विचार बदल गया। तब मिट्टी कहती है अरे! तेरा तो विचार ही बदला है मेरी तो जिंदगी ही बदल गयी -
अगर चिलम बनती तो आग भारी जाती,
खुद भी जलती और दुनिया को भी जलाती।
अब सुराही बनी हु तो जल भरा जाएगा ,
खुद भी शीतल रहूंगी और दुनिया को भी शीतल रखूंगी।।
SO YOU CAN CHANGE YOUR THOUGHTS AND YOU CAN CHANGE YOUR WORLDS.
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